मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

वसंत पंचमी



 वसंत पंचमी

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी  का पर्व मनाते हैं. इस  दिन  ही ज्ञान, वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. उत्तर भारत में इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं. हिन्दू धर्म में सरस्वती पूजा के दिन बच्चों की शिक्षा प्रारंभ कराने या अक्षर ज्ञान शुरू कराने की परंपरा है. वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा क्यों होती है, इसके पीछे भी पौराणिक मान्यता है.

पौराणिक मान्यता है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से अवतरित हुई थीं. इस दिन को देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित कर दिया गया. इस वज​ह से हर साल वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी को पूजा करने से मां सरस्वती जल्द ही प्रसन्न होती हैं.


वसंत पंचमी, बसंत पंचमी का अन्य भाषाओं में नाम

 

अंग्रेजी:    Vasant Panchami, Basant  Panchami  

हिंदी:    वसंत पंचमी, बसंत पंचमी

तेलुगु:    వసంత పంచమి

कन्नड़:    ವಸಂತ ಪಂಚಮಿ

गुजराती: વસંત પંચમી

बंगला:    বসন্ত পঞ্চমী

मराठी:    वसंत पंचमी


मान्यता है कि भगवान राम वसंत पंचमी के दिन माता शबरी के जूठे बेर खाये थे.


आइए जानते हैं कि इस वर्ष सरस्वती पूजा कब है? 


सरस्वती पूजा 2022 तिथि एवं मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 05 फरवरी दिन शनिवार को प्रात: 03:47 बजे से हो रहा है. पंचमी तिथि अगले दिन 06 फरवरी दिन रविवार को प्रात: 03:46 बजे तक मान्य है. ऐसे में सरस्वती पूजा 05 फरवरी को मनाया जाएगा. वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के लिए 5 घण्टे 28 मिनट का समय है. सरस्वती पूजा के लिए मुहूर्त 05 फरवरी को प्रात: 07:07 बजे से लेकर दोपहर 12:35 बजे तक है.


सिद्ध योग में सरस्वती पूजा

इस साल की सरस्वती पूजा सिद्ध योग में है. 05 फरवरी को ​सिद्ध योग शाम 05 बजकर 42 मिनट तक है, उसके बाद से साध्य योग शुरू हो जाएगा. इस दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12:13 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक है. वसंत पंचमी के दिन रवि योग शाम 04:09 बजे से अगले दिन प्रात: 07:06 बजे तक है.


पूजन विधि


सरस्वती पूजन विधि आरंभ

सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल पवित्र करें। सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार बढ़े। इसके बाद पूजा आरंभ करें।


1. पीले रंग के पुष्प- बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले पुष्प अर्पित करना शुभ होता है। इससे वह प्रसन्न होती हैं और ज्ञान का वरदान देती हैं। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना भी उत्तम माना जाता है।

2. पूजा में शामिल करें ये चीजें- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा में पेन, कॉपी, किताब आदि को शामिल करना चाहिए। कहते हैं कि इससे ज्ञान और बुद्धि के वरदान की प्राप्ति होती है।



आसन को मंत्र से शुद्ध करने का मंत्र


“ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुश या पीले फूल से छींटें लगाएं फिर आचमन मंत्र बोलते हुए आचमन करें – ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥


माथे पर चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें ‘चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।’


बसंत पंचमी सरस्वती पूजन के लिए संकल्प मंत्र


हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।’ इस मंत्र को बोलते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रखें। अब गणपति की पूजा करें।


बसंत पंचमी गणपति पूजन विधि


फूल लेकर गणपतिजी का ध्यान करें। मंत्र बोलें – गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। हाथ में अक्षत लेकर गणपति जी का आह्वान करें ‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहकर पात्र में अक्षत रखें।


जल लेकर बोलें-


एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। रक्त चंदन लगाएं: इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को पीले वस्त्र चढ़ाएं। इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।


गणपतिजी को प्रसाद अर्पित करने का मंत्र :


इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।


प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:


गणपति पूजन की तरह सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा करें। यहां अब गणेशजी के स्थान पर नवग्रहों के नाम लें।


सरस्वती पूजा कलश पूजन विधि :

घड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें। कलश के गले में मोली लपेटें। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें:- ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)


इसके बाद जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की है उसी तरह से वरुण और इन्द्रादि देवताओं की भी पूजा करें।


सरस्वती पूजन ध्यान मंत्र –


या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।


या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।


शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।


हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।


देवी सरस्वती की प्रतिष्ठा मंत्र


हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र को बोलकर अक्षत छोड़ें। इसके बाद जल लेकर ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।।


इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐमन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’ इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं।


देवी सरस्वती को इदं पीत वस्त्रं समर्पयामि कहकर पीला वस्त्र पहनाएं। प्रसाद अर्पित करें “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें।


मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं सरस्वतयै नम:।


देवी सरस्वती को पान सुपारी भेंट करें : इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर सरस्वती देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:। इसके बाद एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर किताब कॉपी पर रखें।


मां सरस्वती की पूजा विधि-विधान से करने के बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए। ऐसे में मां सरस्वती को बेसन का लड्डू या बूंदी अर्पित की जा सकती है। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए खीर या मालपुए का भोग लगाया जा सकता है।


आरती की थाल सजाकर देवी सरस्वती की आरती करें। और प्रसाद वितरण करें।


आरती जय सरस्वती माता की


ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।

सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..


बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।

शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..


देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।

पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।

मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..


धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..


मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।

हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..


जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..


ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।

सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..


हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार , देवी का जन्म बसंत पंचमी को हुआ था, इसलिए हर साल लोग इस दिन उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।

देवी की मिट्टी की मूर्तियाँ माथे पर अर्धचंद्र के साथ, हंस की सवारी करती हैं, या कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, जिसे विभिन्न पूजा पंडाल में देखा जा सकता है।

पारंपरिक खिचड़ी (चावल और दाल का मिश्रण) पारंपरिक प्रसाद है जो सरस्वती पूजा पर सभी को दिया जाता है।

इस दिन केसर युक्त हलवा बना कर खानें की परम्परा है.


भक्त इस दिन को काफी शुभ मानते हैं और इसलिए वे अपनी-अपनी राशि के अनुसार देवता की पूजा करना पसंद करते हैं। ऐसे में हम लाए हैं आप कैसे अपनी राशि के अनुसार देवी की पूजा कर सकते हैं।


1.मेष

आप पारंपरिक रीति-रिवाजों और सरस्वती कवच ​​का पाठ करके देवी सरस्वती की पूजा कर सकते हैं। यह आपको देवी सरस्वती को प्रसन्न करने और ज्ञान और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करेगा।

2. वृषभ

आपको देवी सरस्वती की पूजा करने और उन्हें पीले रंग के चावल के दाने चढ़ाने की आवश्यकता है। इस तरह आप अपने परिवार में सकारात्मक और आनंदमय वातावरण लाने में सक्षम होंगे।

3. मिथुन

जब आप सरस्वती की पूजा कर रहे हों, तो गायत्री मंत्र का जाप करें और देवी सरस्वती को फूल चढ़ाएं। यह आपके लिए सौभाग्य लेकर आएगा और कभी भी धन की कमी नहीं होगी

4. कर्क

देवी सरस्वती की पूजा करने के बाद, देवी सरस्वती को पीले और सफेद रंग के फूल चढ़ाएं। इस तरह आप देवी से ज्ञान और ज्ञान प्राप्त करेंगे।

5. सिंह

आपको खीर बनाने की जरूरत है और हो सके तो आप देवी सरस्वती को पीले रंग की मिठाई भी चढ़ा सकते हैं. चूंकि देवी सरस्वती को पीले और सफेद रंग का प्रसाद पसंद है, इसलिए वह आपके काम और व्यापार को आशीर्वाद देगी।

6. कन्या

वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को सफेद फूल चढ़ाएं। इन फूलों को चढ़ाने के बाद सरस्वती मंत्र का जाप करें और अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करें।

7. तुला

आप पूजा के अनुष्ठानों का पालन करके देवी की पूजा कर सकते हैं और फिर उन्हें सफेद चंदन का लेप चढ़ा सकते हैं। इसके बाद उसी पेस्ट को अपने माथे पर तिलक की तरह लगाएं। ऐसा करने से आपको मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होगी।

8. वृश्चिक

आप देवी सरस्वती की पूजा करते हुए सरस्वती मंत्र का जाप कर सकते हैं। एक बार पूजा करने के बाद, आप गरीब बच्चों के बीच अध्ययन सामग्री जैसे पेन, पेंसिल, किताबें आदि वितरित कर सकते हैं। इस तरह आपको सकारात्मक परिणाम और ज्ञान की प्राप्ति होगी।

9. धनु

आपको बसंत पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती के साथ भगवान गणेश की पूजा करने की आवश्यकता है। यह आपको ज्ञान प्राप्त करने और आपके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा।

10. मकर

वसंत पंचमी पर आपको 5 युवतियों को पीले वस्त्र और फूल चढ़ाने चाहिए। साथ ही, उनकी पूजा करें क्योंकि युवा लड़कियां देवी का प्रतीक हैं। इससे आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी और आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी।

11. कुम्भ

देवी सरस्वती की पूजा करने के बाद, गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज अर्पित करें। यह आपको नकारात्मक वाइब्स से बचाएगा और देवी आपको सफलता और ज्ञान का आशीर्वाद देंगी।

12. मीन

आप 108 चंदन की माला से जाते हुए सरस्वती मंत्र का जाप कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके लिए सौभाग्य की प्राप्ति होगी और आपको ज्ञान की प्राप्ति होगी।



-निम्न मंत्र कमजोर विद्यार्थी या उनके अभिभावक भी मां सरस्वती के चित्र को सम्मुख रख के 5 या 11 माला कर सकते हैं।

ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः


-वाक सिद्धि हेतु इस मंत्र जाप करें-

ओम हृीं ऐं हृीं ओम सरस्वत्यै नमः


- आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिए

ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्!!


- रोजगार प्राप्ति व प्रोमोशन के लिए

ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा


-परीक्षा में सफलता के लिए आज से ही इस मंत्र का जाप मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख करते रहें।

ओम् एकदंत महा बुद्धि, सर्व सौभाग्य दायक:!

सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रों विनायकः !!



पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में बसंत पंचमी के दिन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना किया.



भारत के विभिन्न राज्यों में बसंत पंचमी


पंजाब और हरियाणा

पंजाब और हरियाणा में ये त्योहार बहुत घूमधाम से मनाया जाता है. लोग सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और पास के गुरुद्वारे या मंदिर में भगवान से आशीर्वाद लेने जाते हैं. त्योहार का आनंद लेने के लिए दोस्त, परिवार और पड़ोसी से मिलते हैं. बड़े और बच्चे सभी पतंग उड़ाते हैं. लोक गीत गाते और नृत्य करते हैं. इस दिन तैयार किए गए कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों में मक्के की रोटी और सरसों का साग, खिचड़ी और मीठे चावल आदि शामिल हैं.


उत्तर प्रदेश और राजस्थान

इन राज्यों में देवी सरस्वती की पूजा की जाती. लोग पतंगबाजी प्रतियोगिता का हिस्सा बनते हैं. इस दिन सब पीले कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और नृत्य करते हैं. उत्तर प्रदेश में कई भक्त बसंत पंचमी पर भगवान कृष्ण की पूजा करते हुए केसर चावल चढ़ाते हैं. इस दिन पीले गेंदे से घर और प्रवेश द्वार सजाए जाते हैं. राजस्थान में लोग चमेली की माला पहनते हैं.


पश्चिम बंगाल

दुर्गा पूजा के समान पश्चिम बंगाल के कई शहरों में देवी सरस्वती की मंत्रमुग्ध कर देने वाली मूर्ति के साथ एक पंडाल का निर्माण किया जाता है. लोग बड़ी संख्या में देवी मां की पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं. मीठे पीले चावल और बूंदी के लड्डू चढ़ाते हैं. इस राज्य में कई समुदायों में त्योहार मनाने के लिए कम से कम 13 व्यंजन बनाने की रस्म होती है.


बिहार

बिहार में लोग सुबह जल्दी उठकर और देवी सरस्वती की पूजा करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं. वे प्रार्थना के दौरान बूंदी के लड्डू और खीर चढ़ाते हैं और इन्हें परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच बांटते हैं. कई समुदाय शाम को एक मैदान या पार्क में ढोल के साथ त्योहार मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं. लोग नाचते हैं, गाते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं.


उत्तराखंड

बसंत पंचमी लोगों के लिए बहुत खुशी लेकर आता है. ये उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. लोग यहां फूल, पत्ते और पलाश की लकड़ी चढ़ाकर देवी सरस्वती की पूजा करते हैं. कई भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा भी करते हैं. लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं, माथे पर पीले रंग का तिलक लगाते हैं और पीले रुमाल का इस्तेमाल करते हैं. स्थानीय लोग उत्सव में नृत्य करते हैं, केसर हलवा तैयार करते हैं और पतंग उड़ाते हैं.



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