शनिवार, 20 अप्रैल 2024

सतुआन

सतुआन 

उत्तरी भारत के कई सारे राज्यों में मनाया जाने वाला एक सतुआन प्रमुख पर्व है. यह पर्व गर्मी के आगमन का संकेत देता है. मेष संक्रांति के दिन ही सतुआन का पर्व मनाया जाता है. मेष संक्रांति को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल की पहली संक्रांति माना जाता है. यह सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है. ये दिन सोलर कैलेंडर मानने वाले लोगों के लिए नए साल की शुरुआत का संकेत भी  है. 

खरमास का समापन: मेष संक्रांति के साथ खरमास का समापन होता है. खरमास को अशुभ महीना माना जाता है, इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

शुभ कार्यों की शुरुआत: खरमास समाप्त होने के बाद सभी शुभ कार्य करना शुभ माना जाता है. जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि.

सूर्यदेव की पूजा: मेष संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से रोगों का नाश, पापों का क्षय, और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. 

इस दिन भगवान को भोग के रूप में सत्तू अर्पित किया जाता है और सत्तू का प्रसाद खाया जाता है. यह खास त्यौहार बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में मनाया जाता है.बिहार में मिथिलांचल में इसे जुड़ शीतल नाम से जाना जाता है. कहा जाता है इस दिन से ही मिथिला में नए साल की शुरुआत हुई थी.

सत्तू भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रकार का देशज व्यंजन है, जो भूने हुए जौ (Hordeum vulgare), मक्का  (Zea mays L.) और चने (Arachis hypogaea L.) को एक साथ पीस कर बनाया जाता है। भारत के बिहार प्रान्त में यह काफी लोकप्रिय है और कई रूपों में प्रयुक्त होता है। सामान्यतः यह चूर्ण के रूप में रहता है जिसे पानी में घोल कर या अन्य रूपों में खाया अथवा पिया जाता है। सत्तू के सूखे (चूर्ण) तथा घोल दोनों ही रूपों को 'सत्तू' कहते हैं।

माना जाता है कि सतुआन के दिन सूर्य भगवान अपनी उत्तरायण की आधी परिक्रमा को पूरी कर लेते हैं. हर साल यह पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाता है. यह पर्व गर्मी के मौसम का स्वागत करता है. इस पर्व में प्रसाद के रूप में सत्तू खाया जाता है इसलिए इसका नाम सतुआन है. सत्तू हमारे शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है. गर्मी के मौसम में अगर आप सत्तू खाते हैं तो ये आपके पेट को भरा- पूरा रखता है और आपको लू के चपेट से भी बचाता है.

सतुआन पर्व के दिन तामसिक भोजन यानी मांस, मछली, शराब, लहुसन, प्याज और नशीली चीजों को छुएं भी नहीं। इसके अलावा सतुआन के दिन बड़े-बुजर्ग समेत किसी के लिए भी कोई अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करें। साथ ही कहा जाता है कि सतुआन पर्व के दिन वृक्षों की कटाई-छटाई से भी नहीं करना चाहिए।

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