गुरुवार, 11 नवंबर 2021

आंवला नवमी Amla Navami, अक्षय नवमी

 आंवला नवमी Amla Navami

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी कहलाती है. यों सारे कार्तिक मास में स्नान का माहात्म्य है, परंतु नवमी को स्नान करने से अक्षय पुण्य होता है, ऐसा हिंदुओं का विश्वास है. इस दिन अनेक लोग व्रत भी करते हैं और कथा वार्ता में दिन बिताते हैं. इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस खास दिन आवंले के पेड़ की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है. आंवला के पेड़ की पत्तियों में भगवान विष्णु, शिव और माता लक्ष्मी का वास होता है. इस दिन अक्षय लाभ के लिए आंवला पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए।

आंवला नवमी पूजा विधि



आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है. हल्दी कुमकम आदि से पूजा करने के बाद उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित किया जाता है.  इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें और तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है. पूजा करने के बाद कथा पढ़ी और सुनी जाती है. इस दिन पूजा समापन के बाद परिवार और मित्रों के साथ पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने का महत्व है. 



अक्षय नवमी कथा-1


अक्षय नवमी के संबंध में कथा है कि दक्षिण में स्थित विष्णुकांची राज्य के राजा जयसेन के इकलौते पुत्र का नाम मुकुंद देव था। एक बार राजकुमार मुकुंद देव जंगल में शिकार खेलने गए। तभी उनकी नजर व्यापारी कनकाधिप की पुत्री किशोरी के अतीव सौंदर्य पर पड़ी। वे उस पर मोहित हो गए। मुकुंद देव ने उससे विवाह करने की इच्छा प्रकट की।


इस पर किशोरी ने कहा कि मेरे भाग्य में पति का सुख लिखा ही नहीं है। राज ज्योतिषी ने कहा है कि मेरे विवाह मंडप में बिजली गिरने से मेरे वर की तत्काल मृत्यु हो जाएगी। परंतु मुकुंद देव अपने प्रस्ताव पर अडिग थे। उन्होंने अपने आराध्य देव सूर्य और किशोरी ने अपने आराध्य भगवान शंकर की आराधना की। भगवान शंकर ने किशोरी से भी सूर्य की आराधना करने को कहा।

किशोरी गंगा तट पर सूर्य आराधना करने लगी। तभी विलोपी नामक दैत्य किशोरी पर झपटा तो सूर्य देव ने उसे तत्काल भस्म कर दिया। सूर्य देव ने किशोरी से कहा कि तुम कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले के वृक्ष के नीचे विवाह मंडप बनाकर मुकुंद देव से विवाह कर लो।

दोनों ने मिलकर मंडप बनाया। अकस्मात बादल घिर आए और बिजली चमकने लगी। भांवरें पड़ गईं, तो आकाश से बिजली मंडप की ओर गिरने लगी, लेकिन आंवले के वृक्ष ने उसे रोक लिया। इस कहानी के कारण आंवले के वृक्ष की पूजा होने लगी।


आंवला नवमी कथा-2


आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराना लाभदायक माना जाता है. पहले ब्राह्मणों को सोना दान में दिया जाता था. एक बार एक सेठ आंवला नवमी के दिन ब्राह्माणों को आदर सतकार देता था. ये सब देखकर सेठ के पुत्रों को अच्छा नहीं लगता था. और इसी बात पर वे पिता से झगड़ा भी किया करते थे. घर के लड़ाई-झगड़ों से परेशान होकर सेठ ने घर छोड़ दिया और दूसरे गांव में रहने लगा. जीवनयापन के लिए सेठ ने एक दुकान लगा ली और दुकान के आगे आंवले का एक पेड़ लगाया. भगवान की कृपा से उसकी दुकान खूब चलने लगी. 


परिवार से दूर होने के बावजूद वे यहां भी आंवला नवमी का व्रत और पूजा आदि करने लगा था. ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उन्हें दान दिया करता. वहीं, दूसरी तरफ पुत्रों का व्यापार पूरी तरह से ठप्प होता चला गया और उनको अपनी गलती का अहसास हुआ. ऐसा देख उन्हें ये बात समझ आ गई कि वे पिता के भाग्य से ही खाते थे. और फिर पुत्र अपने पिता के पास जाकर माफी मांगी. फिता की आज्ञानुार उन्होंने भी आंवला के वृक्ष की पूजा की और इसके प्रभाव से घर में पहले जैसी खुशहाली आ गई.


आंवले का वृक्ष औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है। आयुर्वेद में इसके अनेक गुण बताए गए हैं। इसलिए इसकी पूजा का तात्पर्य औषधीय वनस्पतियों का संरक्षण व प्रकृति का सम्मान करना भी है।


3-पौराणिक कथा 
पौराणिक कथा अनुसार मां लक्ष्मी एक बार पृथ्वीलोक पर भ्रमण को आईं. यहां उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई. उन्हें ध्यान आया कि तुलसी और शिव के स्वरूप बैल के गुण आंवले में होते है. इसमें दोनों का अंश है. इसलिए मां ने आंवले को ही शिव और विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा की थी. पूजा से प्रसन्न दोनों देव साथ प्रकट हुए. लक्ष्मी जी ने आंवले के नीचे भोजन बनाकर खिलाया. इसी आधार पर हर साल कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है. 


 आंवले का औषधीय गुण


सर्दियों के मौसम में तरह-तरह की बीमारियां फैलने का डर रहता है. बदलते मौसम के इस दौर में आंवले का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है. डॉक्टर और न्यूट्रीशियंस बताते हैं कि आंवला विटामिन सी (Vitamin C Rich Source) का बहुत बेहतरीन सोर्स है और यह एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) युक्त भी होता है. यह सर्दियों में शरीर की इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने में भी मदद करता है.


उपरोक्त के अलावा आंवले से अनेक फायदे हैं.


यह ठंड में होने वाली परेशानियां जैसे बाल रूखे होकर टूटना (Hair Fall Problem in Winters), एसिडिटी (Acidity), वजन बढ़ना (Weight Gain) आदि समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. आंवले के च्यवनप्राश के सेवन से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है. आंवले के बाकी चमत्कारों की बात करें तो यह फल सर्दियों में होने वाली आम परेशानियों जैसे वायरल इन्फेक्शन, सर्दी और जुखाम को दूर रखने में मदद करता है.


इसके साथ ही यह डायबिटीज (Diabetes), कैंसर, हार्ट की बीमारियों को भी दूर रखने में मदद करता है. सर्दियों के सीजन में कब्ज की समस्या (Constipation Problem) होना बिलकुल आम बात है. ऐसे में आंवला कब्ज को दूर रखने में मददगार साबित हो सकता है. 


आंवले का सेवन निम्न प्रकार से करें सेवन


आप सर्दियों में आंवले के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं. इसके जूस का सेवन भी फायदेमंद रहता है. 1 चम्मच आंवले को 1 कप पानी गर्म पानी में मिलाकर पिएं. इसके साथ ही आप चाहें तो आंवले के अचार या मुरब्बा का सेवन कर सकते हैं. यह आपके स्वाद और सेहत दोनों के लिए बेहतर है. आप आंवले की कैडी का भी प्रयोग कर सकते हैं. इसकी कैंडी, आंवला स्वरस, और चूर्ण आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान में आसानी से मिल जाते हैं.


आयुर्वेद में रात के वक्त आंवला खाने से मना किया जाता है। इससे गले में खराश होने के साथ दांत कमजोर हो सकते हैं। वहीं अगर आपको खांसी या कफ की समस्या है तो भी आंवला न लें।

नोट: (इस आर्टिकल में लिखी गई बातें आयुर्वेदाचार्य और डाइटीशियंस से बातचीत पर आधारित हैं. लेखक इसके फायदों की पुष्टि नहीं करता है. ऐसे में इस तरह के उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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