मंगलवार, 30 नवंबर 2021

गोवर्धन पूजा Govardhan Puja


गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं। इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है। इस दिन के लिए मान्यता प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने वृंदावन धाम के लोगों को तूफानी बारिश से बचाने के लिए पर्वत अपने हाथ पर ऊठा लिया था।

कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहते है:

कबीर, गोवर्धन कृष्ण जी उठाया, द्रोणागिरि हनुमंत। शेष नाग सब सृष्टी उठाई, इनमें को भगवंत।।

भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पूजा की थी

हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पूजा की थी और इंद्र देवता अहंकार तोड़ा था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

इंद्र की जगह गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा का प्रचलन आज से नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण के द्वापर युग से चला आ रहा है।भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में पहले ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा किया करते थे। मगर भगवान कृष्ण का तर्क था कि, देवराज इंद्र गोकुलवासियों के पालनहाल नहीं हैं। बल्कि उनके पालनहार तो गोवर्धन पर्वत हैं। क्योंकि यहीं ग्वालों के गायों को चारा मिलता है, जिनसे लोग दूध प्राप्त करते थे। इसलिए भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को कहा कि, हमें देवराज इंद्र की नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। जब इंद्रदेव को श्रीकृष्ण की इस बात के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत क्रोध आया और बृज में तेज मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. तब श्रीकृष्ण भगवान ने बृज के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर लगातार 7 दिन तक उठा कर ब्रजवासियों को उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण देकर उनके प्राणों की रक्षा की।
तब बृज के लोगों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया था. इससे खुश होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों की हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था.

इंद्र ने मांगी श्रीकृष्ण से माफी

भगवान ब्रह्मा ने जब इंद्र को बताया कि भगवान कृष्ण विष्णु का अवतार हैं तो इस बात को जानकर इंद्र बहुत पछताए और फिर बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण 7 दिन बाद गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए। तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा की संपूर्ण विधि
हर पूजन की तरह गोवर्धन पूजा करने का भी एक सही तरीका होता है. जानिए कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा.

-गोवर्धन पूजा के दिन सुबह-सुबह शरीर पर तेल मलकर नहाएं.
-दिवाली के अगले दिन यानी गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। 
-  पूजा के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल और फूल आदि चढ़ाएं जाते हैं। इसके अलावा गोवर्धन पूजा पर गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन पशुओं की पूजा की जाती है।
- गोवर्धन पूजा पर पुरुष के रूप में गोवर्धन पर्वत बनाए जाते हैं। गोवर्धन की आकृति तैयार कर उनके मध्य में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है, फिर गोवर्धन पुरुष की नाभि पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है। इस दीपक को जलाने के साथ दूध, दही, गंगाजल आदि पूजा करते समय अर्पित किए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैंl
-  पूजा के अंत में गोवर्धन की सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। फिर जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है।
-  गोवर्धन पर्वत भगवान के रूप में माने और पूजे जाते हैं और गोवर्धन पूजा करने से धन और संतान सुख में वृद्धि होती है।

गोवर्धन पूजा मंत्र

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।

हे कृष्ण करुणासिंधो दीनबंधो जगतपते।
गोपेश गोपिकाकांत राधाकान्त नमोस्तुते।


अन्नकूट पूजा

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेंहू और चावल आदि अनाज, बेसन की पीला ब्रज जैसु बनी कढ़ी और पत्ते वाली हरी सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है। बाद में इस सारे भोग को भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।

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