Labh Panchami :लाभ पंचमी, सौभाग्य पंचमी
गुजराती नववर्ष की दिवाली से शुरुआत होती है और इसके बाद लाभ पंचमी या सौभाग्य पंचमी पर व्यापारी अपने बही खातों की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ और सौभाग्य की प्रतीक मानी जाती है।
लाभ पंचमी महत्व-
लाभ पंचमी को सौभाग्य या ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। इस दिन नए व्यापार की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। गुजरात में लाभ पंचमी नए साल का पहला कार्य दिवस होता है, इसलिए इस दिन व्यापारी बही खातों की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
लाभ पंचमी पूजा विधि-
1. इस दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
2. इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
3. अब देवी-देवताओं को चंदन, रोली, अक्षत, दूर्वा और दीप आदि अर्पित करें।
4. माता लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
5. अब भगवान को भोग लगाएं।
6. अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करें।
जैन धर्म के लोग इस दिन ज्ञानवर्धक पुस्तकों की पूजा करते हैं और बुद्धि, ज्ञान की प्रार्थना करते हैं।
Have something to add to this story? Post your comments in the comments box below; I shall be thrilled to hear from you!
आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट Harsh Blogs (www.harsh345.wordpress.com) के साथ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें